Anti-Encroachment Drive: जम्मू में लुटती रहीं सरकारी भूमि, हुक्मरानों की बंद रहीं आंखें
अतिक्रमण हटाने के आदेश पर रोक लगाने संबंधी याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है। प्रदेश प्रशासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि सरकारी भूमि पर हर हाल में कब्जा हटाया जाए। अनुच्छेद 370 हटने से पहले जम्मू कश्मीर में खाली पड़ी सरकारी भूमि हड़पने की लूट मच गई
जम्मू, जागरण संवाददाता। अनुच्छेद 370 हटने से पहले जम्मू कश्मीर में खाली पड़ी सरकारी भूमि हड़पने की मची लूट में राजनेता से लेकर नौकरशाह और प्रभावशाली कोई पीछे नहीं रहा। जिसके हाथ जितनी भूमि आई वह दबाकर बैठ गया। तत्कालीन सरकार इस खेल को देखकर आंखें मूंदे बैठी रहीं। जब समय व परिस्थितियां बदलीं तो जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कब्जाई गई हजारों एकड़ सरकारी और चरागाह की भूमि की कुंडली खंगाल कर कार्रवाई शुरू कर दी। वहीं अतिक्रमणकारियों को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका लग चुका है।
अतिक्रमण हटाने के आदेश पर रोक लगाने संबंधी याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी है। प्रदेश प्रशासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि सरकारी भूमि पर हर हाल में कब्जा हटाया जाए। जम्मू जिले की बात करें तो प्रभावशाली व रसूखदारों का सबसे ज्यादा शहर से सटे सुंजवां- बठिंडी में सरकारी जमीनों पर कब्जा है। इन क्षेत्रों में आलीशान इमारतें बनाने वालों में कई पूर्व मंत्री, विधायक व नौकरशाह शामिल हैं। इनको नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
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जमीन मुक्त कराने का अभियान जारी
जम्मू संभाग में 27 हजार से अधिक हेक्टेयर जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया जा चुका है। सबसे अधिक 13,793 हेक्टेयर भूमि राजौरी और 6,100 हेक्टेयर पुंछ जिलों में मुक्त कराई गई है। लगातार हो रहे प्रदर्शन के बाद भी घाटी में अतिक्रमण विरोधी अभियान जारी है।
सरकारी भूमि पर रसूखदारों का कब्जा
सूत्रों के अनुसार जुल्फिकार ने चौआदी के खसरा नंबर 1089 में आधा एकड़ सरकारी भूमि पर कब्जा किया है। जुल्फिकार पीडीपी सरकार में खाद्य मंत्री रह चुके हैं। जम्मू में दूसरा बड़ा नाम भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री अब्दुल गनी कोहली का है जिन्होंने छन्नी रामा के खसरा नंबर 264 में दो एकड़ सरकारी भूमि पर कब्जा कर रखा है। गत दिनों पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे कविंद्र गुप्ता की तथाकथित कब्जाई भूमि पर बुलडोजर चला था।
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कोई बख्शा नहीं जाएगा
सूबे के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि सरकारी भूमि पर रसूखदारों का लंबे समय से खेल चल रहा था। ये लोग भूमि पर कब्जा कर आगे सरकार और सेना से किराया तक वसूलते थे। अब सरकार जब अपनी भूमि वापस ले रही है तो यही रसूखदार आम लोगों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। अगर आज मतदान कराया जाए तो जम्मू कश्मीर की 85 प्रतिशत जनता इस अभियान को सर्वश्रेष्ठ काम बताएगी। रसूखदार और बड़े लोग बख्शे नहीं जाएंगे।