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Himachal Govt Loan: हिमाचल को ऋण चुकाने को भी चाहिए ऋण, अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए उठाने होंगे ये 4 कदम

Himachal Pradesh Govt Loan हिमाचल प्रदेश सरकार ऋण चुकाने के लिए और ऋण लेने की स्थिति में पहुंच गई है। सरकार को ब्याज के साथ मूलधन चुकाने के लिए भी बड़ी राशि की आवश्यकता रहती है। प्रदेश सरकार को अर्थव्‍यवस्‍था मजबूत करने के लिए चार सुधारवादी कदम उठाने होंगे।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar SharmaPublished: Tue, 29 Nov 2022 08:28 AM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 08:28 AM (IST)
हिमाचल प्रदेश सरकार ऋण चुकाने के लिए और ऋण लेने की स्थिति में पहुंच गई है

शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Pradesh Govt Loan, हिमाचल प्रदेश सरकार ऋण चुकाने के लिए और ऋण लेने की स्थिति में पहुंच गई है। सरकार को ब्याज के साथ मूलधन चुकाने के लिए भी बड़ी राशि की आवश्यकता रहती है। ऐसा नहीं कि सरकार स्वेच्छा से ऋण उठा ले। केंद्र सरकार की ओर से प्रत्येक राज्य के लिए वार्षिक ऋण लेने की सीमा निर्धारण होता है। उसी दायरे में रहते हुए राज्य सरकारें ऋण उठाती हैं। हिमाचल सरकार भी उसी का पालन करती है।

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अर्थव्‍यवस्‍था मजबूत करने के लिए लगाने होंगे कर

अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए हिमाचल को कर लगाने होंगे। राज्य के पास अपने संसाधन सीमित हैं, जिनके सहारे चलते हुए विकास किया जा सके। ऐसी परिस्थितियों में प्रदेश सरकार केंद्र को अधिकाधिक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर भेजती है, ताकि विकास का पहिया घुमाता रहे।

ऊर्जा क्षेत्र, बागवानी विकास व पर्यटन को अधिमान देने की जरूरत

इसके अतिरिक्त ऊर्जा क्षेत्र, पर्यटन, वन और बागवानी विकास को अधिमान देकर राज्य के अपने संसाधन विकसित कर सकती है, ताकि राज्य को अपने पैरों पर खड़ा किया जा सके। सरकार का वित्त विभाग समय-समय पर सरकारों को ऋण के संबंध में अवगत करवाता चला आ रहा है।  

ऋण भुगतान की स्थिति

राज्य पर इस समय 69404 करोड़ रुपये का ऋण है। पिछले एक दशक से सरकार प्रति वर्ष पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण उठाती है। सरकार की ओर से पांच वर्ष की अल्पावधि से लेकर 40 वर्ष तक की दीर्घकालीन अवधि के लिए ऋण लिया जाता है। अब मूलधन चुकाने की राशि वर्ष दर वर्ष बढ़ती जा रही है।

  • 3500 करोड़ रुपये मूलधन अदायगी पर
  • 5000 करोड़ रुपये ब्याज अदायगी पर

आय के साधन

  • जीएसटी/वैट : 5000 करोड़ रुपये
  • आबकारी या शराब बिक्री : 1500 करोड़ रुपये
  • विद्युत विक्रय : 1200 करोड़ रुपये
  • अन्य : 1000 करोड़ रुपये
  • कुल 8700 करोड़ रुपये

सुधारवादी कदम उठाने की आवश्यकता

  • राज्य में वन काटने पर प्रतिबंध है। डेढ़ लाख करोड़ रुपये की वन संपदा है। गिरे पेड़ों की बिक्री कर राजस्व बढ़ाया जा सकता है।
  • जल विद्युत क्षेत्र में 27400 मेगावाट क्षमता है। 11 हजार मेगावाट विद्युत का दोहन हो पाया है। इसे बढ़ाने की जरूरत है।
  • बागवानी क्षेत्र में सुधारवादी कदम उठाकर फल उत्पादन करना होगा।
  • पर्यटकों को सुविधाएं देनी होगी, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

चीन से लगती है 200 किमी सीमा, केंद्र सहायता जरूरी

पूर्व वित्‍त सचिव डाक्‍टर केआर भारती का कहना है इसमें शंका नहीं कि हिमाचल पूरी तरह से केंद्र पर निर्भर है। ऐसे में केंद्र को हिमाचल के बारे में अधिक उदार होना पड़ेगा। चीन के साथ भारत की 200 किमी से अधिक की सीमा लगती है। ऐसे में केंद्र की सहायता अनिवार्य है। उसके बाद प्रदेश वन संरक्षित करता है और दूसरे राज्यों के लिए आक्सीजन देने का काम करता है। इसलिए भी केंद्र को प्रदेश के लिए अधिक आर्थिक सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए।

रोजगार बढ़ाने की सोच पर काम करना होगा, खर्च कम करने होंगे

आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डाक्‍टर दीपक शानन का कहना है प्रदेश को आय के स्रोत बढ़ाने के लिए निवेश आना जरूरी है। कर लगाने की दिशा में आगे बढ़ना पड़ेगा और रोजगार के साधन बढ़ाने की सोच पर काम करना होगा। व्यय घटाना पड़ेगा। जिस तरह से तमिलनाडु सरकार ने व्यर्थ व्यय खत्म करने के लिए कमेटी बनाई है, हमें भी प्रदेश में इस तरह से सोचना पड़ेगा। इसके साथ-साथ ह्यूमन रिसोर्स को व्यवस्थित करना पड़ेगा।

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