Joshimath Sinking: इन दो पहाड़ी शहरों में भी दिखीं जोशीमठ की तरह दरारें, घरों से निकल रहा पानी, लोगों में दहशत
Joshimath Sinking जोशीमठ में भूधंसाव की घटना ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी और सीमांत पिथौरागढ़ लोगों में भी डर पैदा कर दिया है। ग्रामीणों ने गांव में हो रहे भूधंसाव व घरों के अंदर से निकल रहे पानी के बारे में बताया।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : Joshimath Sinking: जोशीमठ में भूधंसाव की घटना ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी और सीमांत पिथौरागढ़ लोगों में भी डर पैदा कर दिया है। वह प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित मस्ताड़ी गांव में भूधंसाव और घरों के अंदर पानी निकलने से जोशीमठ जैसी घटना की आशंका से ग्रामीणों के हाथ-पांव फूल गए हैं। रविवार को जब गांव में मीडिया की टीम पहुंची तो ग्रामीणों का दर्द छलक पड़ा।
घरों के अंदर से निकल रहा पानी
ग्रामीणों ने गांव में हो रहे भूधंसाव व घरों के अंदर से निकल रहे पानी के बारे में बताया और आशंका जाहिर की कि जोशीमठ जैसी हालत कहीं मस्ताड़ी में भी न हो जाए। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से समय रहते मस्ताड़ी गांव की सुध लेने की मांग की, ताकि आपदा जैसी स्थिति से बचा जा सके।
68 वर्षीय ऐना देवी ने अपनी तिबारी के दो मंजिले मकान की स्थिति से रूबरू कराया। ऐना देवी ने कहा कि जिन कमरों में उसने अपने बच्चों को जन्म दिया तथा उनका पालन पोषण किया, वहां पानी के रिसाव होने से आज ऐसी स्थिति है कि मवेशियों को भी नहीं रख सकते।
10-15 वर्षों से पानी का रिसाव लगातार बढ़ रहा
बताया कि पहले बिल्कुल भी पानी नहीं आता था, परंतु पिछले 10-15 वर्षों से पानी का रिसाव लगातार बढ़ रहा है। डेढ़ वर्ष पहले तो स्थिति बेहद ही चिंताजनक हो गई थी। किसी तरह से भाग कर उन्होंने अपनी और अपने दिव्यांग बेटे की जान बचाई, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली है।
मस्ताड़ी गांव के प्रधान सत्यनारायण सेमवाल ने कहा कि लगातार गांव में भूस्खलन हो रहा है। वर्षाकाल के दौरान तो बहुत अधिक बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि दरअसल मस्ताड़ी गांव में दरारें पड़ने और भूस्खलन होने की घटना 1991 के भूकंप से शुरू हो गई थी।
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खिमानंद सेवाल, रामजी प्रसाद, जय सिंह सहित कई परिवारों के मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। मस्ताड़ी गांव में घर आंगन से लेकर रास्तों तक दरारें साल दर साल बढ़ रही हैं। ग्रामीणों को डर है कि उनके घर कभी भी जमींदोज हो सकते हैं।
वर्ष 1997 में मस्ताड़ी गांव का भूगर्भीय सर्वे कराया गया था। परंतु ग्रामीण सर्वे से सहमत नहीं हैं। फिर से सर्वे कराने के लिए भूविज्ञानियों को पत्र लिखा गया है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर गांव के विस्थापन आदि की कार्रवाई की जाएगी।
-देवेंद्र पटवाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी उत्तरकाशी
बेरीनाग के बगीचे में धंसी है जमीन, खतरे में आठ परिवार
जोशीमठ में भूधंसाव की घटना ने सीमांत पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग वासियों में भी डर पैदा कर दिया है। मानसून काल के दौरान अगस्त में यहां पुलिस थाने के निचले क्षेत्र में स्थित बगीचा क्षेत्र में जमीन धंसी थी।
साथ ही मकानों में दरारें आने से आठ परिवार खतरे में आ गए थे। ये दरार अब बढ़ रही हैं। वहीं जोशीमठ हादसे से डरे प्रभावित परिवारों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर सुरक्षा उपाय करने की मांग की है।
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बेरीनाग नगर पंचायत के ढनोली पंत वार्ड संख्या छह निवासी नरेंद्र सिंह, वार्ड मेंबर बलवंत सिंह, बसंत खाती, श्याम सिंह, जीवन सिंह ने बताया कि पुलिस थाने के निकट स्थित बगीचा में विगत कुछ वर्षों से लगातार भूमि धंस रही है। जिससे मकानों में और जमीन में दरारें पड़ चुकी हैं और ये दरार चौड़ी होती जा रही हैं।
प्रभावित परिवारों की ओर से इसकी सूचना लगातार प्रशासन को दी जाती है लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है। इस दायरे में रहने वाले आठ परिवार जोशीमठ हादसे के बाद से डरे हुए हैं।
उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप प्रभावित लोगों ने सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने भूगर्भीय जांच कराने की भी मांग की है। एसडीएम एके शुक्ला ने कहा कि बगीचा में भूमि धंसने की शिकायत मिली है। प्रशासन इस मामले में निरीक्षण कर आगे की कार्रवाई करेगा।