Shiv Bilvashtakam: भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करते समय करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात
शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव महज जलाभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं। अतः साधक भगवान शिव की पूजा करते समय जलाभिषेक या रुद्राभिषेक अवश्य ही करते हैं। साथ ही भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु भांग धतूरा बेलपत्र आदि चीजें भी करते हैं। इस विधि से भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shiv Bilvashtakam: सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव एवं जगत जननी मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही सोमवारी व्रत रखा जाता है। शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव महज जलाभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं। अतः साधक भगवान शिव की पूजा करते समय जलाभिषेक या रुद्राभिषेक अवश्य ही करते हैं। साथ ही भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि चीजें भी करते हैं। इस विधि से भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख, क्लेश, संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। इस समय भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। वहीं, बेलपत्र अर्पित करते समय इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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श्री शिव बिल्वाष्टकम्
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं
त्रिजन्म पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कोमलैः शुभैः।
तवपूजां करिष्यामि ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
कॊटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः।
काञ्चनं क्षीलदानेन ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं।
प्रयागे माधवं दृष्ट्वा ऎकबिल्वं शिवार्पणं।।
इन्दुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारो महेश्वराः।
नक्तं हौष्यामि देवेश ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा।
तटाकानिच सन्धानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं।
कृतं नाम सहस्रेण ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
उमया सहदेवेश नन्दि वाहनमेव च।
भस्मलेपन सर्वाङ्गम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
सालग्रामेषु विप्राणां तटाकं दशकूपयो:।
यज्नकोटि सहस्रस्च ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
दन्ति कोटि सहस्रेषु अश्वमेध शतक्रतौ।
कोटिकन्या महादानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं।
अघोर पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
सहस्रवेद पाटेषु ब्रह्मस्तापन मुच्यते।
अनेकव्रत कोटीनाम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
अन्नदान सहस्रेषु सहस्रोप नयनं तधा।
अनेक जन्मपापानि ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
बिल्वस्तोत्रमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति ऐकबिल्वं शिवार्पणं।।
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