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Chandigarh News: समय पूर्व रिहाई की मांग को लेकर बढ़ते मामलों पर हाई कोर्ट ने जारी किए निर्देश

समय पूर्व रिहाई की मांग को लेकर बढ़ते मामलों पर हाईकोर्ट ने अब पंजाब हरियाणा और चंडीगढ़ को आदेश दे दिए हैं कि सभी सीजेएम और सचिव जिला लीगल सर्विस अथॉरिटी ऐसे मामलों की हर तीन महीनों में रिपोर्ट हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaPublished: Tue, 31 Jan 2023 09:56 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 09:56 PM (IST)
समय पूर्व रिहाई की मांग को लेकर बढ़ते मामलों पर हाई कोर्ट ने जारी किए निर्देश

चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो : समय पूर्व रिहाई की मांग को लेकर बढ़ते मामलों पर हाईकोर्ट ने अब पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को आदेश दे दिए हैं कि सभी सीजेएम और सचिव जिला लीगल सर्विस अथॉरिटी ऐसे सभी मामलों की हर तीन महीनों में रिपोर्ट हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपेंगे जो समय पूर्व रिहाई के हक़दार हैं, इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि अगर किसी कैदी की अर्जी पर अथॉरिटी द्वारा निर्णय नहीं लिया गया है तो उसे उस दिन से जमानत का लाभ मिलेगा जिस दिन से वह समय पूर्व रिहाई का हक़दार है।

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पूर्व रिहाई के हकदारों की रिपोर्ट हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपेंगे

जस्टिस अरविंद सांगवान ने यह आदेश इस मामले को लेकर कई अवमानना याचिकाओं का निपटारा करते हुए दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि लगातार देखने में आ रहा है कि जो कैदी समय पूर्व रिहाई के हक़दार हो चुके हैं उन्हें भी इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। अब ऐसे मामलों में देरी न हो इसके लिए हाई कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को कई आदेश दिए हैं। सभी सीजेएम और सचिव जिला लीगल सर्विस अथॉरिटी ऐसे सभी मामलों की हर तीन महीनों में रिपोर्ट हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपेंगे जो समय पूर्व रिहाई के हक़दार हैं। जेल अधीक्षक जिन कैदियों की समय पूर्व रिहाई की अर्जी को स्वीकार कर चुके हैं और ऐसे अर्जियां जो अब सम्बंधित अथॉरिटी के पास लंबित हैं उसकी भी पूरी जानकारी हाई कोर्ट को दी जाए।

पूर्व रिहाई की मांग खारिज होने पर जेल में तत्काल समर्पण करना होगा

ऐसे कैदी को जो समय पूर्व रिहाई के हक़दार ही चुके हैं और उनकी यह अवधि पूरा होने से तीन या छह महीने पहले जेल अधीक्षक से मंजूरी मिल जाती है और उसके बाद सीजेएम और जिला लीगल सर्विस उस पर निर्णय नहीं ले पता है तो इसके बारे में उनके परिवारों को इसके बारे में सूचित किया जाए।हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिए हैं कि कैदी जो समय पूर्व रिहाई का हक़दार हो चूका है उसे इसका लाभ देने के साथ ही उनके परिवार से यह अंडरटेकिंग ले ली जाए कि अगर उसकी समय पूर्व रिहाई की मांग ख़ारिज हो जाती है तो उसे सम्बंधित जेल में तत्काल समर्पण करना होगा ।

अर्जी पर अंतिम निर्णय लिए जाने तक कैदी का पासपोर्ट स्थानीय पुलिस के पास ही रहेगा । इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आदेश दे दिए हैं कि ऐसी अर्जी पर तीन से छह महीनों के भीतर निर्णय लिया जाए। अगर संगीन अपराध और राज्य की सुरक्षा को खतरा हो तो तय समय के भीतर इसके बारे में जानकारी दी जाए तांकि कैदी को जमानत न मिल सके ।


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