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Bathinda News: काउ सेस के नाम पर करोड़ों रुपये वसूल रहा नगर निगम, फिर भी नहीं सुधरे हालात

बठिंडा नगर निगम की ओर से बेसहारा पशुओं को सड़क से हटाने और उनके रख-रखाव के लिए हर साल करोड़ों रुपये काउ सेस वसूला जाता है लेकिन हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी भी सड़कों पर बेसहारा पशुओं का झुंड दुर्घटनाओं को बुलावा दे रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghPublished: Tue, 07 Feb 2023 10:47 AM (IST)Updated: Tue, 07 Feb 2023 10:47 AM (IST)
Bathinda News: काउ सेस के नाम पर करोड़ों रुपये वसूल रहा नगर निगम, फिर भी नहीं सुधरे हालात
काउ सेस के नाम पर करोड़ों रुपये वसूल रहा नगर निगम

बठिंडा, जागरण संवाददाता। बठिंडा नगर निगम की ओर से बेसहारा पशुओं को सड़क से हटाने और उनके रख-रखाव के लिए हर साल करोड़ों रुपये काउ सेस वसूला जाता है, लेकिन हालात यह हैं कि शहर की सड़कों, गलियों, चौकों, हाईवे आदि पर दर्जनों की संख्या में बेसहारा पशु हर समय घूमते दिखाई देते हैं, जो हादसों का कारण बनते हैं। सड़कों पर बेसहारा पशुओं की वजह से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है।

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बेसहारा पशुओं की समस्या का हल करने में निगम तो नाकाम रहा ही है। इसके साथ ही मुर्दा पशुओं को उठाने का भी पूरा प्रबंध निगम के पास नहीं है। निगम की तरफ से अलग-अलग वस्तुओं पर लगाए काउ-सेस से निगम के खाते में हर साल करोड़ों रुपये जमा हो रहे हैं। इस काउ-सेस का मकसद लोगों को बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाना था, जिसमें बठिंडा निगम पूरी तरह फेल रहा है और इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

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करोड़ों रुपए वसूला जाता है काउ सेस

जनवरी 2023 तक निगम के पास लगभग काउ सेस के रूप में तीन करोड़ रुपये जमा हैं। यह जानकारी नगर निगम बठिंडा के वित्त और लेखा शाखा द्वारा एक आरटीआई के तहत दी गई है। इसमें बताया गया कि बठिंडा निगम को साल 2022-23 में नवंबर 2022 तक आठ महीनों में काउ-सेस की रकम एक करोड़ 29 लाख 80 हजार रुपये इकट्ठा हुए थे, जबकि निगम नवंबर 2022 तक आठ महीनों में काउ-सेस की रकम में से एक करोड़ 76 लाख 51 हजार 870 रुपये ही खर्च किए हैं। बाकी बची रकम की जानकारी निगम वित्त और लेखा शाखा की तरफ लिख कर मना कर दिया गया। कहा गया कि यह सूचना जन हित में नहीं है, इसलिए ये सूचना नहीं दी जा सकती।

बीमार और घायल पशुओं के इलाज के नहीं है पुख्ता प्रबंध

आरटीआइ एक्टिविस्ट संजीव गोयल ने कहा कि संबंधित जनसूचना अधिकारी की तरफ से जान बूझकर बाकी बचे (जमा रकम) काउ-सेस की जानकारी छुपाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम के पास अपना बेसहारा मरे हुए पशुओं को उठाने के अलावा बेसहारा घायल और बीमार पशुओं के इलाज करवाने का भी कोई पुख्ता प्रबंध नहीं हैं। घायल और बीमार बेसहारा पशुओं के इलाज के लिए लोगों को किसी एनजीओ से संपर्क करना पड़ता है।

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निगम के पास घायल व बीमार पशुओं को अस्पताल लेकर जाने के लिए कोई गाड़ी या एंबुलेंस भी नहीं है। कई बार तो लोगों को मरे हुए पशुओं को अपने खर्चे पर ही उठवाना पड़ता है, जबकि इन सब की जिम्मेवारी बठिंडा निगम की है। बेसहारा पशुओं के कारण कोई दुर्घटना न हो इसकी पूर्ण रूप से जिम्मेवारी बठिंडा प्रशासन की है। प्रशासन को बेसहारा पशुओं से लोगों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की अति आवश्यकता है। प्रशासन के ढीले रुख का खमियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। बठिंडा शहर की सड़कों और गलियों में बेसहारा पशु झुंड बनाकर घूमते आम ही देखे जा सकते हैं। शहर में और शहर के आउटर एरिया में रात के समय सड़कों, गलियों के बीच बैठे-खड़े पशु दिख न पाने के कारण आए दिन हादसे होते रहते हैं।

जानलेवा है बेसहारा पशुओं का झुंड

सिरकी बाजार में बैल ने महिला को सींगों पर उठाकर पटक दिया था, हालत अब भी गंभीर गत दो फरवरी को स्थानीय सिरकी बाजार बिजली बोर्ड दफ्तर के पास पैदल जा रही एक 62 वर्षीय बुजुर्ग महिला को एक बेसहारा बैल ने अपने सींगों पर उठाकर उसे सड़क पर पटक दिया था। हादसे में संजय नगर निवासी 62 वर्षीय महिला कृष्णा देवी पत्नी नथू राम गंभीर रूप से घायल हो गई और उसका सिर फट गया था, जिसे उपचार के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, लेकिन महिला की गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टर द्वारा अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया गया था। महिला की हालत अब तक स्थिर है।


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