स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। आम बजट से करदाता सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। करदाताओं का एक बड़ा हिस्सा वेतनभोगी करदाताओं का है। बजट में सरकार से राहत की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि इस वित्त वर्ष में महंगाई, छंटनी, बेरोजगारी आदि के कारण उनकी जेब पर भारी असर पड़ा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खुद मिडिल क्लास को राहत देने का संकेत दे चुकी हैं। ऐसे में सरकार इस बजट में टैक्स से जुड़ी क्या राहत दे सकती है, इसे जानने के लिए जागरण प्राइम ने शीर्ष विशेषज्ञों से बात की। इन विशेषज्ञों में क्लियर टैक्स के फाउंडर एवं सीईओ अर्चित गुप्ता, माईमनीमंत्रा डॉट कॉम के संस्थापक और प्रबंध निदेशक राज खोसला, टैक्स गुरु सीए सुधीर हालखंडी और चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति जोशी शामिल हैं। आइए जानते हैं ये विशेषज्ञ इस बजट में क्या उम्मीद कर रहे हैं।

1. टैक्स छूट की सीमा में बढ़ोतरी

फिलहाल कर मुक्त आय की सीमा 2.5 लाख रुपए सालाना हैl इससे ऊपर आय होने पर टैक्स चुकाना पड़ता है। यह सीमा वित्त वर्ष 2014-15 में निर्धारित की गयी थी और तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक, महंगाई को देखते हुए इस सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया जाना चाहिएl क्लियर टैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता के मुताबिक, इससे निम्न और मध्यम वर्ग के करदाताओं को कुछ राहत मिलेगी। गुप्ता उच्चतम टैक्स स्लैब को 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने और 30% की जगह 25% की भी वकालत करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी।

2. 80सी के तहत कटौती को बढ़ाकर 2.50 लाख करना

आयकर की धारा 80C के तहत अधिकतर करदाता कटौती का लाभ लेते हैं। इस एक सेक्शन में ट्यूशन फीस, जीवन बीमा, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फण्ड, पीपीएफ इत्यादि आते हैं। वर्तमान में इसमें मिलने वाली अधिकतम कटौती की सीमा 1.5 लाख रुपए है। अंतिम बार 2014 के आम बजट में यह सीमा बढ़ाई गई थी। विशेषज्ञ महंगाई को देखते हुए इसे बढ़ा कर 2.5 लाख करने की उम्मीद कर रहे हैं।

3. मानक कटौती में इजाफा

वेतनभोगी करदाताओं को फिलहाल 50 हजार रुपए की मानक कटौती (standard deduction) मिलती है। 50 हजार की यह सीमा वित्त वर्ष 2019-20 में अंतिम बार बढ़ाई गयी थी l चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति जोशी कहते हैं, मानक कटौती को बढ़ाना चाहिए, क्योंकि कर्मचारियों को अपने कार्य के निष्पादन के लिए कई तरह के खर्चे करने होते हैं, जिसमें स्किल डेवलेपमेंट भी शामिल है। लेकिन वेतनभोगी करदाताओं को उन खर्चों पर व्यापारियों की तरह कटौती नहीं मिलती है। इसलिए इस लिमिट को बढ़ाना चाहिए और हो सके तो इसे मिलने वाले वेतन से भी लिंक कर इसकी अधिकतम सीमा तय कर देनी चाहिए l

4. होम लोन पर ब्याज की छूट दो लाख से बढ़ाकर 3 लाख करना

होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर 2 लाख रुपए तक की छूट धारा 24(b) के तहत मिलती है। यह सीमा भी वित्त वर्ष 2014-15 में 1.5 लाख से बढ़ा कर 2 लाख की गई थी। तब से अब तक प्रॉपर्टी की कीमत लगभग दोगनी हो चुकी हैं। ऐसे में विशेषज्ञ इस कटौती को बढ़ाकर 3 लाख रुपए करने की उम्मीद कर रहे हैं। इसके अलावा, गुप्ता धारा 80EEA (आवास ऋण पर ब्याज का भुगतान) और 80EEB (इलेक्ट्रिक वाहन ऋण पर ब्याज का भुगतान) के तहत कटौती के लिए लॉक-इन अवधि को भी दो साल तक बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं।

5. स्वास्थ्य बीमा और खर्च पर कटौती बढ़े

विशेषज्ञों के मुताबिक, कोविड के बाद के दौर में चिकित्सा व्यय और बीमा प्रीमियम में बढ़ोतरी का व्यक्तियों की जेब पर भारी प्रभाव पड़ा है। इसके कारण 80D के तहत स्वास्थ्य खर्च या स्वास्थ्य बीमा की प्रीमियम पर मिलने वाली आयकर कटौती की सीमा को मौजूदा स्तर 25,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए की जानी चाहिए।

6. कैपिटल गेन टैक्स को सरल करना

करदाताओं के समझने के लिए वर्तमान कैपिटल गेन टैक्स संरचना बहुत जटिल है। कैपिटल गेन टैक्स के लिए निवेश की अवधि और टैक्स की दर अलग-अलग एसेट के लिए अलग है। यहां तक कि इंडेक्सेशन बेनिफिट भी कुछ एसेट क्लास तक ही सीमित है। यह उम्मीद की जा रही है कि आगामी बजट में या तो अलग-अलग परिसंपत्ति वर्गों के लिए कई कार्यकालों को संरेखित करके या लंबी और छोटी अवधि की संपत्तियों के लिए एकीकृत कर की दर पेश करके इन चुनौतियों का समाधान किया जाएगा।

7. क्रिप्टो और ऑनलाइन गेमिंग में टैक्स को लेकर स्पष्टता

क्रिप्टो और ब्लॉकचेन भारत के साथ-साथ दुनिया में उभरते हुए उद्योग हैं। क्रिप्टो संपत्तियों पर 30% की फ्लैट कर दर लगाए जाने के बावजूद कराधान पहलू अब भी एक ग्रे क्षेत्र बना हुआ है। क्रिप्टो में सर्दियों के दौरान हुए नुकसान के कारण करदाता आगे स्पष्टीकरण और राहत चाहते हैं। क्रिप्टो निवेशकों को अन्य क्रिप्टो श्रेणियों से नुकसान की भरपाई के लिए एक बार की राहत की अनुमति दी जा सकती है।

8. सरचार्ज दरों में कटौती

यदि व्यक्ति की आय 5 करोड़ रुपए से अधिक है, तो भारत में सरचार्ज की दरें 37% तक बढ़ जाती हैं। ऐसे मामलों में प्रभावी कर की दर 42.744% तक होती है। यह कर की बहुत ही उच्च दर है और इसे कम किया जाना चाहिए। ऐसा करने का एक तरीका यह है कि ऐसे करदाताओं को प्रोत्साहित किया जाए और जब वे स्टार्टअप या सामाजिक कारणों में अपने धन का निवेश करे, तो उन्हें कटौती की पेशकश की जाए।

9. प्रोफेशनल करदाताओं के लिए आय के 50% हिस्से की बजाय 35% पर टैक्स लगे

आयकर की धारा 44एडी के तहत यदि करदाता बैंक चैनल के माध्यम से ट्रांजेक्शन करता है तो उसे 8% के स्थान पर 6% की दर से अनुमानित आय मानते हुए टैक्स देना होता है। जबकि प्रोफेशनल करदाता को धारा 44एडीए के तहत 50% अनुमानित आय मानते हुए कर देना होता है, जो कि बहुत अधिक है। इसे भी बैंक चैनल के माध्यम से ट्रांजेक्शन करने पर अनुमानित आय के प्रतिशत को 35% कर देना चाहिए।

10. सीएसआर के खर्च को कॉरपाेरेट टैक्स में कटौती

कंपनियों को अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन के लिए विभिन्न जनकल्याण योजनाओं के अंतर्गत सीएसआर में अनिवार्य रूप से खर्च करना होता है, इन खर्चों पर आयकर में कटौती नहीं मिलती है l बजट में सीएसआर पर किए जाने वाले खर्चों की व्यापार के ख़र्चे के रूप में कटौती मिले, ऐसे प्रावधान करना चाहिए। इससे अधिक से अधिक कम्पनियां जनकल्याण योजनाओं में भागीदारी लेंगी l