बॉर्डर पर भारतीय सेना की पैनी नजर, दुश्मनों के ड्रोन को नष्ट करने के लिए चीलों को दी जा रही खास ट्रेनिंग
ऐसी क्षमता सुरक्षा बलों को सीमा पार से पंजाब और जम्मू-कश्मीर में भारतीय क्षेत्रों में आने वाले ड्रोन के खतरे से निपटने में मदद कर सकती है। भारतीय सेना आतंकविरोधी अभियानों के लिए हमलावर कुत्तों के साथ भी प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली/ औली, एएनआइ। भारतीय सेना के जवान सीमा रेखा (Border) पर दुश्मनों की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। इसी कड़ी में अब भारतीय सेना प्रशिक्षित चीलों (Trained Kites) का भी इस्तेमाल कर रही है। भारतीय सेना के ये चील दुश्मनों के ड्रोनों पर खास नजर रख रहे हैं। इन प्रशिक्षित चीलों का सेना अपनी तरह का पहला प्रयोग कर रही है।
उत्तराखंड के औली में भारतीय सेना युद्ध अभ्यास कर रही है। इस दौरान भारतीय सेना ने आतंकविरोधी अभियानों के लिए हमलावर कुत्तों के साथ भी प्रदर्शन किया।
#WATCH | Demonstration of using assault dogs for counter-terrorist operations by the Indian Army during the ongoing wargame Yuddh Abhyas in Auli, Uttarakhand pic.twitter.com/VsUziTXLBc— ANI (@ANI) November 29, 2022
सेना के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना सैन्य अभियानों के लिए कुत्तों के साथ-साथ प्रशिक्षित चीलों का भी इस्तेमाल कर रही है।
ड्रोन के खतरे से निपटने में मिलेगी मदद
ऐसी क्षमता सुरक्षा बलों को सीमा पार से पंजाब और जम्मू-कश्मीर में भारतीय क्षेत्रों में आने वाले ड्रोन के खतरे से निपटने में मदद कर सकती है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पाकिस्तान की तरफ से आने वाले ड्रोन ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब में ड्रग्स, बंदूकें और रुपयों की खेप गिराई गईं।
हाल ही में 24 नवंबर को, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जम्मू के सांबा जिले में एक पाकिस्तानी ड्रोन द्वारा गिराए गए हथियारों और भारतीय मुद्रा की एक खेप बरामद की थी।
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उत्तराखंड के औली में हो रहा युद्ध अभ्यास
भारतीय सेना ने उत्तराखंड के औली में चल रहे संयुक्त प्रशिक्षण युद्ध अभ्यास के दौरान दुश्मन के ड्रोन का शिकार करने के लिए चीलों के इस्तेमाल का प्रदर्शन किया। इस बीच, भारत-अमेरिका संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास 'युद्ध अभ्यास 22' का 18वां संस्करण शनिवार को उत्तराखंड के औली में शुरू हुआ है।
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इसके पहले अमेरिका के अलास्का में हुआ था यह युद्ध अभ्यास
इस युद्ध अभ्यास का आयोजन भारत और अमेरिका के बीच दोनों देशों की सेनाओं के बीच सर्वोत्तम रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान के उद्देश्य से किया जाता है। पिछली बार यह अभ्यास अक्टूबर 2021 में संयुक्त बेस एल्मडॉर्फ रिचर्डसन, अलास्का (US) में आयोजित किया गया था।