नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।

अठारहवीं लोकसभा के लिए दूसरे चरण का मतदान हो चुका है। जागरण न्यू मीडिया मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ‘मेरा पावर वोट- नॉलेज सीरीज’ लेकर आया है। इसमें हमारे जीवन से जुड़े पांच बुनियादी विषयों इकोनॉमी, सेहत, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। हमने हर सेगमेंट को चार हिस्से में बांटा है- महिला, युवा, शहरी मध्य वर्ग और किसान। इसका मकसद आपको एंपावर करना है ताकि आप मतदान करने में सही फैसला ले सकें। नॉलेज सीरीज में बात डिजिटल एजुकेशन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की।

देश भर की शिक्षा व्यवस्था में आए बदलाव से लेकर डिजिटल शिक्षा को तेजी से अपनाने के चलते हमारे नौजवानों की शिक्षा के स्तर में भी इजाफा हुआ है। तकनीक छात्रों को पूरी क्षमता से पढ़ाई करने के लिए सशक्त बना रही है। वहीं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने जॉब मार्केट में हलचल मचा दी है। एक्पर्ट का मानना है कि एआई हमारे काम करने के तरीके को अधिक सुलभ बनाएगा।

डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में आए आमूल-चूल बदलावों और चुनौतियों को लेकर बात करने के लिए हमने आईपी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन के विजिटिंग फेलो डा. दुर्गेश त्रिपाठी और बेनेट यूनिवर्सिटी के आईक्यूएसी के डायरेक्टर और न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस सोसाइटी के सदस्य डा. मनीष भल्ला से बात की।

दुर्गेश त्रिपाठी कहते हैं कि मैं मानता हूं कि एआई का असर नौकरियां पर पड़ेगा। जैसे कि कंप्यूटर देश में आया था। इस तरह के कयास लगाए जाते थे कि लोगों की नौकरियां चली जाएगी। एआई का सदुपयोग लोगों को करना आना चाहिए। एआई क्रिएटिविटी को कुछ हद तक सपोर्ट करता है लेकिन उसे ओवरकम नहीं कर पाता है। बिल गेट्स भारत आए थे। उन्होंने इंटरव्यू में कुछ महत्वपूर्ण बातें कही है। उन्होंने कहा था कि आने वाले समय में भारतीय युवा विश्व में नंबर वन होंगे। दूसरी बात गेट्स ने कही थी कि डिजिटल एजुकेशन में भारत का योगदान विश्व में सबसे अव्वल होगा। तीसरी बड़ी बात माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक गेट्स ने कही थी कि भविष्य भारत के युवाओं का होगा। तीनों बिंदु बताते हैं कि वर्तमान और भविष्य के बारे में अनुभव के आधार पर बोल दिया है। त्रिपाठी कहते हैं कि ऑल्टमैन बताते हैं कि एआई का मतलब आर्टिफिशियल जनरल इंटेलीजेंस हो गया है। मुझे लगता है कि एआई का सदुपयोग करना चाहिए। उसे अपना सहयोगी बनाकर काम करना चाहिए।

डा. मनीष भल्ला कहते हैं कि सभी लोगों को एआई के बारे में समझना होगा। । भारत में डिजिटल रेवोल्यूशन, हेल्थकेयर, एजुकेशन, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री, नारी शक्ति, क्लाइमेट चेंज, सिक्योरिटी और गवर्नेंस सहित कई क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जा रहा है। देश में बच्चों तक बेस्ट एजुकेशन पहुंचाने और टीचर्स की कमियों को टेक्नोलॉजी से भरने की मुहिम चल रही है। विजुअल्स और स्टोरी-टेलिंग में बच्चों का इंटरेस्ट देखकर उस तरह के कंटेंट बनाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।

त्रिपाठी कहते हैं कि आने वाले समय में छात्रों को कोर्स के ट्रेंड्स को समझने की आवश्यकता है। कौन से कोर्स करने आवश्यक है। इसलिए सरकार ने इंटरडिसिप्लनिरी कोर्स को बढ़ावा दिया। यह समय ट्रांजिशन का है। एआई कोर्स की खास बात यह है कि इसे आप ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरह से कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ एआई कोर्स के साथ-साथ मशीन लर्निंग के कोर्स भी काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। मशीन लर्निंग के एडवांस कोर्स भी आपके लिए कई मौके बना सकता है। छात्रों को वर्तमान और भविष्य को देखते हुए कोर्स का चुनाव करना चाहिए। एनईपी भी कहता है कि रिसर्च पर फोकस करें। एनईपी में प्रोफेशनल और क्लासरूम में सामंजस्य बनाने की बात कही गई है। एनईपी प्रोफेशनल को क्लासरूम में ले आया।

डा. मनीष भल्ला कहते हैं कि यह शिक्षा नीति विद्यार्थियों को रोजगार उपलब्ध कराने में अधिक सक्षम हैं। इस शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों में कौशल, गुणवत्ता और उनकी रुचियों को निखारा जा सकेगा। इस प्रकार की शिक्षा नीति के तहत भारत विश्व में अग्रणी शिक्षा व्यवस्था के साथ पदार्पण करेगा।अब विद्यार्थियों के लिए मा‌र्क्स नहीं ग्रेड का अधिक महत्व होगा। अब विद्यार्थी इंटर्नशिप के माध्यम से और अधिक रोजगारोन्मुखी बनेंगे।

बढ़ते स्टॉर्टअप

भारत में 4,450 से अधिक एडटेक स्टार्टअप हैं जिनसे 30 करोड़ से अधिक स्कूली स्टूडेंट्स जुड़े हुए हैं। साल 2010 में जहां एडटेक मार्केट को 50 करोड़ की फंडिंग मिली थी। वह 2022 तक 32 गुना बढ़कर 16.1 बिलियन डॉलर (करीब 13 खरब रुपये) पहुंच गई है। इसमें के-12 सेगमेंट, हाईअर एजुकेशन और अपस्किलिंग कोर्सेस की मांग सबसे अधिक है।

केपीएमजी और गूगल ने ‘भारत में ऑनलाइन शिक्षाः 2021' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें 2016 से 2021 की अवधि के दौरान भारत में ऑनलाइन शिक्षा के कारोबार में आठ गुना की अभूतपूर्व वृद्धि आंकी गई हैं।

2016 में ये कारोबार करीब 25 करोड़ डॉलर का था और 2021 में इसका मूल्य बढ़कर करीब दो अरब डॉलर हो जाएगा। शिक्षा के पेड यूजरों की संख्या 2016 में करीब 16 लाख बताई गई थी, 2021 में जिनके करीब एक करोड़ हो जाने की संभावना है।