तापमान वृद्धि सीमित करने की दिशा में पीछे चल रहे विकसित देश, 1.5 डिग्री सेल्सियस तक करने का है लक्ष्य
ज्यादातर विकसित देश संयुक्त राष्ट्र की सहमति के अनुसार वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की योजनाओं से अब भी काफी पीछे चल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन संबंधी घटनाक्रम पर नजर रखने वाली वेबसाइट पेरिस इक्विटी चेक की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र: ज्यादातर विकसित देश संयुक्त राष्ट्र की सहमति के अनुसार वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की योजनाओं से अब भी काफी पीछे चल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन संबंधी घटनाक्रम पर नजर रखने वाली वेबसाइट 'पेरिस इक्विटी चेक' की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
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तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने का लक्ष्य
'पेरिस इक्विटी चेक' औद्योगिक काल के पूर्व के औसत की तुलना में तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के वैश्विक लक्ष्य को हासिल करने में मदद के लिए देशों के योगदान का आकलन करती है। देशों को उम्मीद है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से जलवायु परिवर्तन के बुरे असर से बचा जा सकेगा।
करीब 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है तापमान
वैश्विक सतह तापमान औद्योगिक काल-पूर्व (1850-1900) की तुलना में करीब 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इसे दुनियाभर में सूखा, जंगल की आग तथा बाढ़ की घटनाओं के पीछे मुख्य वजह माना जाता है। वेबसाइट के अनुसार, अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, जर्मनी और स्पेन जैसे देश निर्धारित लक्ष्य से बहुत पीछे चल रहे हैं। वेबसाइट के प्रमुख अनुसंधानकर्ता यान रोबियू डू पोंट ने कहा, विभिन्न देश घरेलू स्तर पर कमी लाकर और अन्य गरीब देशों में कम लागत पर उत्सर्जन कम करने में मदद करके पेरिस समझौते का महत्वाकांक्षी लक्ष्य लागू कर सकते हैं।