EXCLUSIVE: अफ्रीका में वडताल गादी का पहला मंदिर तैयार, सोने से बना कलश और ध्वज स्तंभ, नए साल में होगा उद्धाटन
Vadtal Gadi Temple अफ्रीका में वडताल गादी का पहला मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। कोरोना काल के बीच मंदिर निर्माण का कार्य 2 साल में संपन्न हुआ। ऐसे में 1 जनवरी 2023 को वडताल गादी के श्रीआचार्य राकेशप्रसाद समेत तमाम साधु संत मंदिर का उद्धाटन करेंगे।
अहमदाबाद, जागरण डेस्क। Vadtal Gadi Temple: भगवान स्वामीनारायण द्वारा स्थापित वडताल गादी का अफ्रीका में पहला मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। नैरोबी में बने इस भव्य मंदिर का उद्घाटन 1 जनवरी, 2023 को वडताल गादी के श्रीआचार्य राकेशप्रसाद जी एवं अध्यक्ष श्री देवप्रकाश स्वामी, नौतामप्रकाश स्वामी आदि साधु संत करेंगे।
इस मंदिर के निर्माण में संतों और हरिभक्तों ने बहुत त्याग किया है। कोठारी पार्षद वल्लभ भगत पिछले एक साल से यहां रह रहे हैं। परेश पटेल वडताल और मेहलाव, प्रथमेश नर, कांतिभाई और मितेशभाई महलव चंद्रेश बाबरिया सौराष्ट्र जैसे सेवादारों ने दिल खोलकर योगदान दिया है। मंदिर का कलश और ध्वज शुद्ध सोने से तैयार किया गया है। इस मंदिर की खासियत के बारे में डॉ. संत वल्लभ स्वामी ने गुजराती जागरण से खास बातचीत की।
ICG ने गुजरात में 300 करोड़ रुपये की ड्रग्स के साथ पकड़ी पाकिस्तानी नाव, हथियार और गोला-बारूद बरामद
मंदिर की एक विशेषता
- यह अफ्रीका में वडताल गादी का पहला मंदिर है।
- मंदिर का शिलान्यास 5 दिसंबर, 2020 को किया गया। कोरोना काल में भी मंदिर निर्माण कार्य 2 साल में संपन्न हुआ।
- नैरोबी का यह मंदिर 21,842 वर्ग फीट जमीन में फैला हुआ है।
- मंदिर की प्रतिष्ठा में वडताल के वर्तमान आचार्य इस समय 99 संतों और 150 सत्संगियों के साथ केन्या के सत्संग दौरे पर हैं।
- भक्ति चिंतामणि सप्ताह पारायण नित्यस्वरूप स्वामी सरदार और नीलकंठचरण स्वामी के व्यास पर होगा।
- वडताल मंदिर के पुजारी धीरेन भट्ट वैदिक रीति से यज्ञ करेंगे।
- शिखर सहित मंदिर की ऊंचाई 60 फीट और चौड़ाई 110 फीट है।
- मंदिर के भूतल पर 25 स्तंभ और हॉल में 7 स्तंभ हैं।
- इस मंदिर के गर्भगृह का आकार 10 फीट है। जिसमें हरिकृष्ण महाराज की 4.8 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके अलावा 3.5 फीट की अलग से मूर्ति स्थापित की जाएगी।
- इस स्वामीनारायण मंदिर में 1400 हरिभक्त एक बार में दर्शन कर सकते हैं।
- नैरोबी मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं। तो मंदिर में 3 गुंबद और 3 शिखर हैं।
- इस विशाल मंदिर का डिजाइन चंद्रभाई बाबरिया ने चेयरमैन केके वारसानी के मार्गदर्शन में तैयार किया है।
- मंदिर का कलश और ध्वज स्तंभ शुद्ध सोने से जड़ा हुआ है।
- इस मंदिर के चारों ओर उद्यान बनाए गए हैं।
- 300 स्वयंसेवकों की टीम लगातार विदेशी धरती पर सेवा दे रही है।
- यह मंदिर 30 करोड़ रुपए की लागत से दो साल में बनकर तैयार हुआ है।
- के.के. वारसाणी एक प्रमुख केन्याई व्यवसायी और मंदिर के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने मंदिर के निर्माण में शेर के हिस्से का योगदान दिया।
- वडताल से अब तक संतों ने मंदिर निर्माण के दौरान चार सत्संग यात्राएं की हैं।
- मंदिर में एक कैंटीन है जो 700 लोगों के लिए प्रसाद तैयार कर सकती है।
- मंदिर प्रांगण में कार पार्किंग की सुविधा मौजूद है, जहां पर 125 कार पार्क हो सकती हैं।
- मंदिर प्रतिष्ठा के अवसर पर सनातन परंपरा को जगाने के लिए संतों ने 2100 परिवारों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया है।
CM भूपेंद्र पटेल का अहम फैसला: कैबिनेट मीटिंग में मंत्रियों और अधिकारियों के मोबाइल ले जाने पर बैन
गुजरात के कच्छ में RSS की बड़ी बैठक, मोहन भागवत ने संगठन के विस्तार पर स्वयंसेवकों का किया मार्गदर्शन